- by Parth Kumar
- Aug, 01, 2025 08:48
कुत्ता प्रेमी :- कुत्तों का समर्थन करने वाले ये फिल्मी कलाकार पशु प्रेमी नहीं हैं। वे खुद सभी जानवरों को खा जाते हैं। लेकिन ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें कुत्तों की कोई समस्या नहीं है। उनके बच्चे बड़ी गाड़ियों में घूमते हैं। या उन्हें गरीब बच्चों से कोई लेना-देना नहीं है।
अगर उन्हें कुत्तों से इतना प्यार है तो उनके पास कुत्तों के लिए इतने पैसे हैं। उन्हें खुद एक डॉग हाउस खोल लेना चाहिए या उसे वहाँ या अपने घर में रखना चाहिए। मैं सभी देशवासियों से अनुरोध करता हूँ कि वे कुत्ते प्रेमियों को कभी इंसान न समझें। वे पशु प्रेमी नहीं हैं, जानवर उनका भोजन हैं। वे बस गरीबों के दुश्मन हैं।
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स — ट्विटर (अब X), इंस्टाग्राम और फेसबुक — पर "कुत्ता प्रेमी" शब्द ज़ोर-शोर से ट्रेंड कर रहा है। यह ट्रेंड न केवल एक ऑनलाइन मीम बन गया है, बल्कि एक तरह का जनता का गुस्सा भी है, जो अब व्यंग्य और ट्रोलिंग के रूप में सामने आ रहा है।
इस बहस की शुरुआत तब हुई जब कुछ नामी फिल्मी सितारों और सेलिब्रिटी एक्टिविस्ट्स ने खुलेआम कुत्तों के समर्थन में बयान दिए, लेकिन वही लोग समाज की अन्य गंभीर समस्याओं पर चुप रहे।
भारतीय सोशल मीडिया पर विवाद की जड़ बेहद सरल है —
जब सड़क पर कुत्तों के हमलों की घटनाएं सामने आईं, तब बहुत से लोगों ने इनसे बचाव और नियंत्रण की मांग की।
लेकिन, कुछ नामी फिल्मी हस्तियां इन घटनाओं को नज़रअंदाज़ कर, केवल कुत्तों के अधिकारों की रक्षा की बात करने लगीं।
इन बयानों को देखकर लोगों को लगा कि ये “कुत्ता प्रेमी” दिखावटी पशु प्रेमी हैं, जो असल में सिर्फ लाइमलाइट और पब्लिक इमेज के लिए बोल रहे हैं।
लोगों का कहना है कि ऐसे लोग बाकी जानवरों का मांस खाने में कोई परहेज़ नहीं करते, लेकिन कुत्तों के मामले में अचानक संवेदनशील और भावुक हो जाते हैं।
एक बड़ा वर्ग मानता है कि भारत में गरीबी, बेरोज़गारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी गंभीर समस्याएं हैं, जिन पर इन तथाकथित कुत्ता प्रेमियों का कभी ध्यान नहीं जाता।
सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स ने लिखा:
“अगर आपको कुत्तों से इतना ही प्यार है, तो अपने घर या फ़ार्महाउस में उनके लिए डॉग हाउस खोलिए। समाज पर बोझ मत बनाइए।”
कई लोगों का कहना है कि सड़क पर घूमते आवारा कुत्ते अक्सर बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरा बनते हैं, लेकिन इन ‘पशु प्रेमियों’ को गरीब बच्चों की परवाह नहीं होती।
इस ट्रेंड में खासकर बॉलीवुड के बड़े सितारे और कुछ टेलीविजन हस्तियां निशाने पर हैं।
सोशल मीडिया पर उनका मज़ाक उड़ाते हुए लोग कह रहे हैं कि ये लोग “लाइव कैमरा ऑन” होने पर ही इंसानियत और पशु प्रेम दिखाते हैं।
कई मीम्स में यह दिखाया गया कि कैसे ये सितारे महंगी गाड़ियों में घूमते हैं, पालतू कुत्तों के लिए लाखों खर्च करते हैं, लेकिन सड़क पर सोते गरीब इंसानों की तरफ देखना भी पसंद नहीं करते।
ट्विटर पर #KuttaPremiTrend और #DogLoversIndia हैशटैग के साथ हजारों पोस्ट किए गए।
मीम क्रिएटर्स ने फिल्मी डायलॉग्स और सीन का इस्तेमाल कर कुत्ता प्रेमियों का मज़ाक उड़ाया।
फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ‘Before Camera – After Camera’ टाइप मीम्स वायरल हुए, जिनमें दिखाया गया कि कैमरे के सामने ये लोग कितने भावुक हो जाते हैं और कैमरा बंद होते ही सब भूल जाते हैं।
कुछ यूज़र्स ने तो सीधा कहा, “कुत्ता प्रेमी असल में गरीबों के दुश्मन हैं। इनके लिए इंसान से ज़्यादा कीमती एक पालतू कुत्ता है।”
सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह ट्रेंड एक तरह से फेक एक्टिविज्म पर जनता की प्रतिक्रिया है।
जब कोई मुद्दा ट्रेंड करता है, तो कई सेलिब्रिटी सिर्फ दिखावे के लिए उसमें कूद पड़ते हैं।
उनका उद्देश्य असली समस्या सुलझाना नहीं, बल्कि अपने सोशल मीडिया इमेज को चमकाना होता है।
असली पशु प्रेम का मतलब है सभी जीवों के लिए दया और सुरक्षा, न कि सिर्फ एक खास जानवर के लिए।
शहरों में पालतू और आवारा कुत्तों का मुद्दा जनता बनाम कुत्ता प्रेमी के रूप में उभर रहा है।
जहां आम लोग चाहते हैं कि आवारा कुत्तों पर नियंत्रण हो, वहीं कुत्ता प्रेमी कहते हैं कि इन्हें खुला घूमने देना चाहिए।
यह टकराव अब सोशल मीडिया की बहस से निकलकर ग्राउंड लेवल पर विरोध का रूप ले रहा है।
गांव और कस्बों में कुत्तों को लेकर सोच अलग है।
वहां लोग पालतू कुत्तों को काम के लिए रखते हैं (जैसे घर या खेत की रखवाली) लेकिन आवारा कुत्तों से दूरी बनाए रखते हैं।
इन इलाकों के लोग कहते हैं कि कुत्ता प्रेमियों की बातें सिर्फ शहरों की सोशल मीडिया लाइफ में अच्छी लगती हैं, असल ज़िंदगी में नहीं।
इस पूरे ट्रेंड में एक और बड़ा मुद्दा उभरा है — बॉयकॉट मूवमेंट।
कई सोशल मीडिया पोस्ट्स में लिखा गया:
“हर भारतीय से विनम्र निवेदन है कि ऐसे फिल्मी सितारों का बहिष्कार करें जो कुत्तों के लिए तो आंसू बहाते हैं, लेकिन गरीब बच्चों और आम जनता की समस्याओं पर चुप रहते हैं।”
यह अपील सिर्फ ट्रोलिंग नहीं, बल्कि एक जनता का सामूहिक विरोध है, जिसमें कहा जा रहा है कि इन ‘कुत्ता प्रेमी’ फिल्मी सितारों की फिल्में न देखें, उन्हें सोशल मीडिया पर फॉलो न करें और उनके ब्रांड्स का समर्थन न करें।
भारत में पशु प्रेम हमेशा से एक परंपरा रहा है —
गाय, बैल, बकरी जैसे जानवरों की पूजा और देखभाल की जाती है।
लेकिन, भारतीय समाज में पशु प्रेम का मतलब हमेशा संतुलन रहा है — यानी इंसानों और जानवरों दोनों के प्रति दया।
आलोचकों का कहना है कि आज का “कुत्ता प्रेम” एक असंतुलित और एकतरफा सोच है, जो बाकी जानवरों और इंसानों को नज़रअंदाज़ करता है।
“कुत्ता प्रेमी” ट्रेंड ने यह साफ कर दिया है कि भारत की जनता अब दिखावटी एक्टिविज्म को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।
सोशल मीडिया ने आम लोगों को अपनी आवाज़ देने का मौका दिया है, और इस बार उनकी आवाज़ का निशाना सीधे दिखावे के लिए कुत्ता प्रेम जताने वाले सेलिब्रिटीज़ हैं।
जनता का संदेश साफ है —
"अगर आप सच में पशु प्रेमी हैं, तो इंसानों और सभी जीवों के लिए समान दया दिखाइए। वरना जनता आपको सिर्फ एक ‘कुत्ता प्रेमी’ के तौर पर याद रखेगी — और शायद बॉयकॉट भी करेगी।”