- by Parth Kumar
- Aug, 01, 2025 08:48
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 5 अगस्त 2025 को एक बड़ा प्राकृतिक हादसा हुआ। दोपहर के समय धराली गांव के ऊपर बादल फटने से भारी बारिश और तेज बाढ़ आई, जिसने पूरे गांव को तबाह कर दिया। दर्जनों घर, दुकानें और एक सैन्य शिविर पानी में बह गए। अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 100 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं।
बादल फटना एक ऐसी स्थिति होती है जब किसी छोटे क्षेत्र में बहुत कम समय में अत्यधिक वर्षा होती है। इस बार धराली क्षेत्र में 24 घंटे में 210 मिमी से ज्यादा बारिश दर्ज की गई, जिससे जलस्तर तेजी से बढ़ा और नदी-नालों ने उग्र रूप ले लिया।
जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियरों के पिघलने की प्रक्रिया को इस तरह की आपदाओं का मुख्य कारण माना जा रहा है। पहाड़ी इलाकों की कमजोर ज़मीन और अस्थिर मौसम स्थितियों के कारण यह क्षेत्र अत्यधिक संवेदनशील बन चुका है।
लगभग 40 से 50 घर, कई होटल, हॉमस्टे और दुकानें पूरी तरह बह गईं।
गांव का मुख्य बाजार क्षेत्र मलबे और कीचड़ से पूरी तरह ढक गया।
एक सेना शिविर को भी बाढ़ ने अपनी चपेट में ले लिया।
लगभग 18 मवेशी भी इस त्रासदी में मारे गए।
कुछ स्थानों पर मलबे की गहराई 15 मीटर तक पहुंच गई है।
अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
100 से अधिक लोग लापता हैं, जिनमें कई सेना के जवान भी शामिल हैं।
प्रशासन के अनुसार, कई शव मलबे के नीचे दबे हो सकते हैं, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ सकती है।
भारतीय सेना, एनडीआरएफ, और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर तैनात हैं।
190 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है।
ड्रोन, खोजी कुत्ते, और भारी मशीनों की मदद से खोजबीन जारी है।
प्रभावितों के लिए अस्थायी राहत शिविर बनाए गए हैं।
तीन हेलिकॉप्टर भी राहत कार्य के लिए तैयार रखे गए हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने क्षेत्र का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और प्रभावितों को हर संभव मदद का भरोसा दिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय भी स्थिति पर नज़र रखे हुए है।
मौसम विभाग ने उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में 10 अगस्त तक भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। विशेषज्ञों के अनुसार, ग्लोबल वॉर्मिंग और बर्फबारी में असमानता के कारण इस प्रकार की आपदाएं अब सामान्य हो रही हैं।
2013 की केदारनाथ त्रासदी के बाद यह घटना एक बार फिर से हिमालयी क्षेत्र की संवेदनशीलता को उजागर करती है।
धराली गांव खीर्गंगा नदी के पास स्थित है, जो एक हिमनदी से निकलने वाली तेज धार वाली नदी है। भारी बारिश के दौरान यह नदी उग्र रूप ले लेती है। इस क्षेत्र में अत्यधिक निर्माण कार्य, वनों की कटाई और जलवायु बदलाव ने इस आपदा को और अधिक गंभीर बना दिया।
पर्यटन पूरी तरह से ठप हो चुका है।
कई परिवारों ने अपने घर और रोजगार दोनों खो दिए हैं।
गंगोत्री धाम जाने वाला रास्ता फिलहाल बंद कर दिया गया है।
गांव के लोग अपने परिजनों के समाचारों की प्रतीक्षा में व्याकुल हैं। इस घटना ने पूरे इलाके में भय और शोक की लहर फैला दी है।