- by Armaanuddin Ahmed
- Aug, 11, 2025 07:21
श्री कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख और पावन त्योहार है, जो भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, मंदिरों में विशेष सजावट होती है और रात 12 बजे श्री कृष्ण का जन्म उत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मथुरा और वृंदावन में इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि यह भगवान कृष्ण की लीलाओं से जुड़ी पवित्र भूमि है।
पंचांग के अनुसार, श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2025 भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाएगी। इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व 15 अगस्त 2025 (शुक्रवार) को पड़ रहा है।
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 15 अगस्त 2025, सुबह 10:05 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: 16 अगस्त 2025, सुबह 08:42 बजे
निशीथ पूजा समय: 15 अगस्त 2025, रात 11:57 बजे से 16 अगस्त, 12:43 बजे तक
हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु ने अन्याय और अधर्म के अंत के लिए अपने आठवें अवतार के रूप में मथुरा की जेल में देवकी और वसुदेव के घर जन्म लिया। यह दिन सत्य, धर्म और प्रेम की विजय का प्रतीक है। जन्माष्टमी के व्रत और पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है।
सुबह स्नान और संकल्प – व्रत रखने वाले भक्त प्रातः स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेते हैं।
पूजा स्थल की सजावट – मंदिर या घर में भगवान कृष्ण की मूर्ति को फूलों, वस्त्र और आभूषण से सजाया जाता है।
भजन-कीर्तन – दिनभर कृष्ण भक्ति गीत और भजन गाए जाते हैं।
मध्यरात्रि जन्म उत्सव – रात 12 बजे श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है, शंख और घंटियों की ध्वनि के बीच आरती की जाती है।
अगले दिन व्रत पारण – अष्टमी समाप्त होने के बाद व्रत खोला जाता है।
मथुरा और वृंदावन – यहां जन्माष्टमी भव्य झांकियों, रासलीला और मंदिरों की सुंदर सजावट के साथ मनाई जाती है।
दही हांडी महोत्सव – महाराष्ट्र में दही हांडी का आयोजन जन्माष्टमी का मुख्य आकर्षण है।
गुजरात और राजस्थान – यहां गरबा और मटकी फोड़ प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है।
दक्षिण भारत – घरों में रंगोली, तोरण और खास प्रसाद के साथ यह दिन मनाया जाता है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह जीवन में प्रेम, सत्य, करुणा और नैतिकता को अपनाने का संदेश देता है। इस दिन का उत्सव हमें सिखाता है कि धर्म की जीत और अधर्म का अंत निश्चित है।